रात एक बार फिर से पूरी हो गई है,
पर नींद मेरी अब तक अधूरी है।
जग को दिखाता हूँ अपना खुश चेहरा,
पर दिल में कुछ दर्द अब भी रोता है।
कहीं और नज़र नहीं आता उसका अक्स मुझे,
पर मेरी हर बात में उसकी ही याद बिसरी है।
नज़्में-ग़ज़लें-कहानियां बहुत सुन पढ़ ली मैंने,
अब दर्द के साझे के लिए बस मौत का आना बाकी है।
मानना है तेरा की भूल गया हूँ मैं सब कुछ,
पर ऐसी ग़लतफ़हमी भी खुद में एक बेमानी है।
बेशक़ कुछ नए अपने साथ हैं ज़िन्दगी में,
पर मेरी नयी शुरआत अब भी आधी है।
कुछ लोग तेरी ही बातों पर यकीन करेंगें,
पर तेरा गलत साबित होना भी बाकी है।
कौन जान पाया है की किस्मत में क्या लिखा है,
आने वाले हर मोड़ का इंतज़ार बदस्तूर जारी है।
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